आइये जानते है किन देवता ने किया था सबसे पहले छठ का महा पर्व ?

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Let us know which deity first celebrated the great festival of Chhath?

माता सीता ने अपने पति की दीर्घ आयु के लिए बिहार के मुंगेर जिला स्थित मुद्गल ऋषि आश्रम के समीप गंगा किनारे सबसे पहले छठ पूजा की थी। 

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छठ पूजा का व्रत करने वाले 36 घंटे के करीब निर्जला उपवास करते हैं, जो शनिवार को खरना के साथ शुरू होगा और सोमवार को उदीयमान सूर्य को अर्घ्य देने के बाद खत्म होगा। 

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मुख्य रूप से यह पर्व सूर्य उपासना के लिए किया जाता है, ताकि पूरे परिवार पर उनका आशीर्वाद बना रहे। साथ ही यह व्रत संतान के सुखद भविष्य के लिए भी किया जाता है।  

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छठ में कई तरह के प्रसाद चढ़ाए जाते हैं, जिनमें महत्वपूर्ण ठेकुआ होता है। ठेकुआ गेहूं के आंटे से बनता है। 

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इसके लिए इसे पहले धोकर सुखाया जाता है, गेहूं को सुखाने के समय भी खास एहतियात बरतना पड़ता है। जैसे कि कोई पक्षी उसको झूठा ना कर दे। 

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छठ के पहले दिन को नहाय खाय कहा जाता है, छठ का पालन करने वाली महिलाएं निर्जला व्रत रखकर भक्त भगवान सूर्य के लिए प्रसाद तैयार करते हैं. 

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दूसरे और तीसरे दिन को खरना और छठ पूजा कहा जाता है. महिलाएं इन दिनों एक कठिन निर्जला व्रत रखती हैं. 

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इस बार छठ पर्व शुक्रवार: नहाय-खाय शनिवार: खरना रविवार: शाम का अर्घ्य अस्ताचलगामी सूर्य को अर्घ्य देने का समय शाम: 5:26 बजे

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सोमवार: सुबह का अर्घ्य उदीयमान सूर्य को अर्घ्य देने का समय सुबह: 6:47 बजे 

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यह त्योहार भारत और नेपाल में बिहार, झारखंड और पूर्वी उत्तर प्रदेश के लिए अद्वितीय है. 

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