इस घटना का कारण था अगरबत्ती कंपनी यूनियन कार्बाइड के एक संयुक्त उत्पादन संयंत्र को संचालित करती थी।
दिनांक 2 दिसंबर 1984 को संयंत्र में एक गैस विस्फोट हुआ जिससे टोक्यो, जापान के बाद दुनिया के सबसे बड़े और सबसे घातक विस्फोट में से एक हुआ।
विस्फोट से पहले, संयंत्र में कार्बाइड और जल का रिएक्शन होता है जिससे मेथाइल इजोसायनेट जैसी जहरीली गैस निर्मित होती है।
गैस की बढ़ती समस्या को तालिका प्रणाली में सुधार के बिना नजरअंदाज किया गया था जिससे बड़ी संख्या में लोग गैस के असर से प्रभावित हो गए।
इस घटना में लगभग 40 टन का जहरीला गैस वायुमंडल में छोड़ा गया था।
विस्फोट से अधिकतम प्रभावित क्षेत्र में करीब 20,000 से अधिक लोगों की मृत्यु हुई थी और लाखों लोगों को जहरीली
गैस रिसाव से सबसे बुरी तरह प्रभावित क्षेत्र में 20,000 से अधिक लोगों की मौत देखी गई, और लाखों लोग जहरीली गैस से प्रभावित हुए।
गैस रिसाव ने सभी उम्र के लोगों को प्रभावित किया और गैस के जहरीले प्रभाव के कारण कई लोगों की नींद में ही मृत्यु हो गई।
यूसीआईएल UCIL की मूल कंपनी यूनियन कार्बाइड कॉरपोरेशन ने इस दुर्घटना के लिए असंतुष्ट कर्मचारियों द्वारा की गई तोड़फोड़ को जिम्मेदार ठहराया।
आपदा ने भारत सरकार और अंतर्राष्ट्रीय समुदाय से व्यापक आक्रोश और न्याय की माँग की।
अंततः भारत सरकार $470 मिलियन के मुआवजे के पैकेज के लिए यूनियन कार्बाइड कॉरपोरेशन के साथ एक समझौते पर पहुंची, जिसकी त्रासदी के पैमाने और इसके दीर्घकालिक स्वास्थ्य प्रभावों को देखते हुए अपर्याप्त के रूप में व्यापक रूप से आलोचना की गई थी।